न्यूज़ डेस्क/सर्वोदय न्यूज़:- भारत एक कृषि प्रधान देश है और ग्रामीण जीवन, खेती-बाड़ी तथा प्राकृतिक वातावरण हमेशा से लोगों को आकर्षित करता आया है। इसी आधार पर “एग्रो टूरिज़्म” (Agro Tourism) की अवधारणा विकसित हुई है। एग्रो टूरिज़्म का अर्थ है – ग्रामीण परिवेश, खेती, पशुपालन, पारंपरिक संस्कृति और प्राकृतिक संसाधनों को पर्यटन से जोड़कर लोगों को अनुभव कराना। यह न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाने का माध्यम है बल्कि ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार और ग्रामीण संस्कृति को संरक्षित करने का एक सशक्त साधन भी है। डॉ. हेमंत कुमार एवं डॉ. जयदीप भदौरिया के अनुसार –
राजस्थान में एग्रो टूरिज़्म की वर्तमान स्थिति
राजस्थान पर्यटन की दृष्टि से भारत का सबसे प्रमुख राज्य है। यहाँ की ऐतिहासिक धरोहरें, किले, महल, रेगिस्तानी संस्कृति और लोककला विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। लेकिन अब यहाँ ग्रामीण और कृषि पर्यटन की ओर भी ध्यान दिया जा रहा है।
राजस्थान पर्यटन विभाग के अनुसार, राज्य में प्रतिवर्ष लगभग 5 करोड़ से अधिक देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं। इनमें से अब एक बड़ा वर्ग ग्रामीण जीवन और खेती-बाड़ी के अनुभव की ओर आकर्षित हो रहा है।
जयपुर, अजमेर, उदयपुर, बाड़मेर, जोधपुर और बीकानेर के आसपास कुछ निजी फार्म हाउस और गांव एग्रो टूरिज़्म मॉडल के रूप में विकसित हुए हैं।
“पधारो म्हारे देस” अभियान के तहत ग्रामीण होम-स्टे, ऊँट सफारी, खेती का प्रत्यक्ष अनुभव, पशुपालन गतिविधियाँ और लोक-संस्कृति से जुड़ी प्रस्तुतियाँ पर्यटकों को आकर्षित कर रही हैं।
अभी राजस्थान में एग्रो टूरिज़्म संगठित स्तर पर शुरुआती दौर में है और इसका योगदान कुल राज्य पर्यटन में लगभग 3–5% ही माना जाता है।
एग्रो टूरिज़्म से मिलने वाले लाभ
- किसानों की आमदनी में वृद्धि – फसल और पशुपालन से होने वाली कमाई के साथ अतिरिक्त आय का स्रोत।
- रोजगार सृजन – ग्रामीण युवाओं और महिलाओं को गाइड, होम-स्टे प्रबंधन, लोकनृत्य, हस्तशिल्प व भोजन व्यवस्था में रोजगार।
- संस्कृति और परंपरा का संरक्षण – लोककला, लोकनृत्य, लोकसंगीत और ग्रामीण खानपान को बढ़ावा।
- शहरी लोगों को अनुभव – खेती, जैविक कृषि, दुग्ध उत्पादन और पारंपरिक जीवनशैली को करीब से देखने का अवसर।
- पर्यावरण संरक्षण – प्राकृतिक और हरित पर्यटन के कारण पर्यावरण के प्रति जागरूकता।
जनपालिया का “भाखर एग्रो टूरिज़्म एवं नवाचार केंद्र”
राजस्थान में एग्रो टूरिज़्म के क्षेत्र में एक उल्लेखनीय पहल बाड़मेर जिले के जनपालिया गाँव में देखने को मिलती है। यहाँ पशुचिकित्सक डॉ. रावताराम भाखर के मार्गदर्शन में उनके भाई श्री हरीश भाखर द्वारा “भाखर एग्रो टूरिज़्म एवं नवाचार केंद्र” विकसित किया गया है।

इस केंद्र का उद्देश्य है कि पर्यटक ग्रामीण जीवन, खेतों की सैर, फसलों की खेती, पशुपालन और पारंपरिक कृषि तकनीकों को प्रत्यक्ष रूप से अनुभव कर सकें।यहाँ वैज्ञानिक तरीकों को अपनाकर जैविक खेती के साथ अधिक उत्पादन कैसे प्राप्त किया जा सकता है, इस पर भी नवाचार किए जाते हैं। केंद्र में स्थानीय बीजों का संरक्षण, बकरी और गौ-पालन, दुग्ध उत्पादन, जल-संरक्षण तकनीक और आधुनिक कृषि विधियाँ प्रदर्शित की जाती हैं। साथ ही यह युवा किसानों को वैज्ञानिक ज्ञान और व्यावहारिक प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य करता है। यह मॉडल अन्य गांवों के लिए प्रेरणा है कि कैसे कृषि और पर्यटन को जोड़कर किसानों की आय दोगुनी की जा सकती है।
राजस्थान में संभावनाएँ
राजस्थान में एग्रो टूरिज़्म की संभावनाएँ अत्यधिक व्यापक हैं क्योंकि: राज्य में ग्रामीण जनसंख्या 75% से अधिक है, जो पर्यटन का आधार बन सकती है। जैविक खेती (Organic Farming) और डेयरी उद्योग में राजस्थान देशभर में तेजी से आगे बढ़ रहा है। ऊँट, घोड़ा और गाय पालन यहाँ की विशिष्ट पहचान है, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकता है। थार मरुस्थल और ग्रामीण जीवन विदेशी पर्यटकों के लिए अद्वितीय अनुभव प्रदान करते हैं। यदि सरकार एग्रो टूरिज़्म को राज्य पर्यटन नीति में मजबूत स्थान दे और किसानों को वित्तीय व तकनीकी सहायता प्रदान करे तो आने वाले 5–10 वर्षों में इसका योगदान राज्य की पर्यटन आय में 10–15% तक हो सकता है।
चुनौतियाँ
पर्याप्त बुनियादी ढाँचे (सड़क, पानी, बिजली) की कमी। किसानों और ग्रामीणों को प्रशिक्षण की आवश्यकता। अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार स्वच्छता और सुरक्षा का अभाव।प्रचार-प्रसार और मार्केटिंग की कमी।



