Friday, November 14, 2025

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रॉबर्ट वाड्रा का पैदल मार्च: ईडी समन पर ‘तेवर’ या राजनीति में एंट्री का संकेत?

नई दिल्ली/सर्वोदय:- कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के पति और गांधी परिवार के दामाद रॉबर्ट वाड्रा एक बार फिर सुर्खियों में हैं। मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा भेजे गए समन पर वाड्रा ने जिस अंदाज़ में हाज़िरी दी, उसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। मंगलवार सुबह वाड्रा दिल्ली स्थित ईडी दफ्तर पैदल पहुंचे—आंखों पर चश्मा, सादगी भरा पहनावा और साथ में समर्थकों की भीड़। ये नज़ारा एक प्रतीकात्मक राजनीतिक संदेश देता दिखा।

ईडी के समन और वाड्रा की प्रतिक्रिया

वाड्रा को ईडी ने हरियाणा के शिखोपुर जमीन सौदे से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दूसरा समन भेजा था। पहला समन 8 अप्रैल को भेजा गया था, लेकिन तब वह पेश नहीं हुए थे। इस बार उन्होंने ना सिर्फ समन पर प्रतिक्रिया दी, बल्कि पैदल मार्च कर ईडी दफ्तर पहुंचकर स्पष्ट कर दिया कि वह पीछे हटने वाले नहीं हैं।

वाड्रा ने कहा,

“मुझे कुछ छिपाने की जरूरत नहीं है। जब भी मैं जनता की आवाज़ उठाऊंगा, मुझे दबाने की कोशिश की जाएगी। लेकिन मैं डरने वाला नहीं हूं।”

पैदल मार्च के पीछे क्या है संकेत?

जब उनसे पैदल आने की वजह पूछी गई, तो वाड्रा ने जवाब दिया: “लोग चाहते थे कि मैं पैदल आऊं… लोग जुड़ना चाहते हैं… लेकिन उन्हें रोक दिया गया। केस में कुछ है ही नहीं, 20 साल जांच थोड़ी ना चलेगी।”

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि वाड्रा का यह कदम सिर्फ कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा नहीं, बल्कि एक राजनीतिक प्रतीक भी है—जिसे जनता से जुड़ाव, पारदर्शिता और साहसिक छवि के रूप में पेश किया गया।

क्या रॉबर्ट वाड्रा राजनीति में उतरने वाले हैं?

रॉबर्ट वाड्रा पहले भी कई बार अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा जाहिर कर चुके हैं। उन्होंने साफ कहा था:“अगर कांग्रेस और मेरे परिवार का आशीर्वाद मिला, तो मैं राजनीति में कदम रखूंगा।”

उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब उनकी पत्नी प्रियंका गांधी वायनाड से सांसद बन चुकी हैं, और पार्टी में उनकी भूमिका लगातार बढ़ रही है। वाड्रा का मानना है कि विपक्ष उन्हें चुनावी मुद्दा बनाकर पहले ही राजनीति में खींच लाया है।

मामला क्या है?

ईडी का आरोप है कि रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने 2008 में शिखोपुर, हरियाणा में 3.5 एकड़ जमीन 7.5 करोड़ रुपये में खरीदी थी। एजेंसी का दावा है कि इस सौदे में वित्तीय अनियमितताएं और मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका है। हालांकि, वाड्रा ने इन आरोपों को राजनीतिक साजिश बताया है।

नजरें अब वाड्रा के अगले कदम पर

वाड्रा के इस प्रतीकात्मक मार्च और बयानबाज़ी ने राजनीतिक हलकों में हलचल जरूर पैदा कर दी है। क्या यह उनके राजनीति में औपचारिक प्रवेश का ट्रेलर है? या फिर एक कानूनी लड़ाई को जन समर्थन में बदलने की रणनीति? जवाब आने वाले वक्त में साफ होगा।

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