न्यूज़ डेस्क/सर्वोदय न्यूज़:- हिंदू महासभा की महासचिव और स्वयंभू साध्वी पूजा शकुन पांडेय, उर्फ साध्वी अन्नपूर्णा भारती, एक बार फिर विवादों में हैं। इस बार मामला मर्डर केस से जुड़ा है, जिसमें उन्हें मुख्य आरोपी बताया जा रहा है। अलीगढ़ में एक युवक की हत्या के आरोप में उनका नाम सामने आया है और फिलहाल वे फरार हैं। पुलिस उनकी तलाश में उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में छापेमारी कर रही है।
कौन थे अभिषेक गुप्ता और क्या है मामला?
26 सितंबर को अलीगढ़ के रोरावर थाना क्षेत्र में 32 वर्षीय अभिषेक गुप्ता की गोली मारकर हत्या कर दी गई। वह एक बाइक शोरूम का संचालक था। हत्या के समय उसके पिता नीरज गुप्ता भी साथ थे।
परिवार ने आरोप लगाया है कि:पूजा शकुन पांडेय, अभिषेक को अपने साथ रखना चाहती थीं,दोनों के बीच कई वर्षों तक “नजदीकी संबंध” थे, पूजा, शोरूम में पार्टनरशिप की मांग कर रही थीं, लाखों रुपये लेन-देन हुए थे।
आरोपों की जड़ में क्या है?
परिजनों का दावा है कि अभिषेक, पूजा से दूरी बनाना चाहता था, लेकिन पूजा उस पर दबाव बना रही थीं। यह भी सामने आया है कि:2019 में जब गांधी जी के फोटो पर गोली चलाई गई थी, उस केस में अभिषेक भी जेल गया था। पिछले साल अभिषेक के छोटे भाई की शादी में, पूजा और अभिषेक ने मैचिंग पिंक ड्रेस पहनकर साथ में डांस किया था।
अब तक क्या-क्या हुआ?
शूटर फजल और पूजा के पति अशोक पांडेय को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पूछताछ में खुलासा हुआ कि हत्या की 3 लाख रुपये में डील हुई थी, जिसमें 1 लाख एडवांस दिया गया था। शूटर को अभिषेक की फोटो दिखाकर पहचान कराई गई थी।
संन्यास और सांसारिक मोह-माया में उलझाव?
2017 में संन्यास लेकर “साध्वी अन्नपूर्णा भारती” बनी पूजा शकुन पांडेय पर आरोप है कि उन्होंने अपने मोह से मुक्ति पाने की बजाय अभिषेक के प्रति लगाव बनाए रखा।
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यह वही साध्वी हैं जो: 2019 में महात्मा गांधी के चित्र पर गोली चलाकर सुर्खियों में आई थीं। जेल से छूटने के बाद यति नरसिंहानंद को “कलियुग का श्रीकृष्ण” बताया था। हिंदू महासभा और दक्षिणपंथी संगठनों में ‘लेडी गोडसे’ के नाम से जानी जाती हैं।
पुलिस की जांच जारी, अभी अधूरी है कहानी
पुलिस सूत्रों के अनुसार: पूजा उत्तर प्रदेश में किसी मंदिर या मठ में छिपी हो सकती हैं। जांच का एक एंगल यह भी है कि क्या अभिषेक के पास ऐसा कोई वीडियो या सबूत था, जिससे पूजा को खतरा था? फिलहाल, मामला एकतरफा आरोपों पर आधारित है। पूजा की गिरफ्तारी के बाद ही पूरा सच सामने आ सकेगा।
डिस्क्लेमर:
यह रिपोर्ट प्राथमिक तथ्यों और पुलिस व मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। आरोपी को तब तक दोषी नहीं माना जा सकता जब तक अदालत द्वारा उसे दोषी न ठहराया जाए।



