नई दिल्ली/सर्वोदय:- पाकिस्तान से भारत आईं सीमा हैदर एक बार फिर सुर्खियों में हैं। उत्तर प्रदेश में अपने पति सचिन मीणा और चार बच्चों के साथ रह रही सीमा ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से एक भावुक अपील की है। उन्होंने आग्रह किया है कि उन्हें भारत से निर्वासित न किया जाए क्योंकि अब भारत ही उनका घर है।
आतंकी हमले के बाद उठा मामला, सीमा की नागरिकता पर सस्पेंस जारी
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों को भारत छोड़ने के निर्देश दिए हैं। इसी संदर्भ में सीमा हैदर ने एक वीडियो जारी कर अपनी बात कही, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
वीडियो में सीमा कहती हैं, “मैं भारत की बहू हूं, मेरे बच्चे यहीं स्कूल जाते हैं, मेरी पूरी ज़िंदगी अब भारत में है। मुझे मेरे देश से मत निकालिए।”
सीमा हैदर के समर्थन में उतरीं राखी सावंत, बोलीं- “वो अब भारत की बहू है, कोई फुटबॉल नहीं”
कानूनी प्रक्रिया में मामला, गृह मंत्रालय कर रहा जांच
सीमा हैदर की नागरिकता याचिका फिलहाल कोर्ट में विचाराधीन है। गृह मंत्रालय द्वारा उनके दस्तावेजों की जांच की जा रही है। अभी तक भारत सरकार की ओर से कोई औपचारिक निर्वासन आदेश जारी नहीं किया गया है, लेकिन उनकी कानूनी स्थिति अनिश्चित बनी हुई है।
उनके वकील का कहना है कि: “सीमा का विवाह एक भारतीय नागरिक से हुआ है, उनके बच्चे भारत में रह रहे हैं और पढ़ाई कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें मानवीय आधार पर भारत में रहने की अनुमति मिलनी चाहिए।”
सोशल मीडिया पर बहस तेज, कुछ समर्थन में तो कुछ कर रहे हैं कानून की बात
सोशल मीडिया पर सीमा के बयान को लेकर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कई यूजर्स ने इंसानियत की दुहाई दी है, वहीं कुछ लोगों ने इसे सुरक्षा और कानून व्यवस्था का विषय बताया है। एक यूज़र ने कमेंट किया: “इंसानियत और कानून के बीच संतुलन ज़रूरी है। सरकार को सोच-समझकर निर्णय लेना चाहिए।”
विशेषज्ञों की राय क्या कहती है?
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, किसी विदेशी नागरिक का विवाह भारतीय नागरिक से हुआ हो और उसका परिवार भारत में रह रहा हो, तो ऐसे मामलों में मानवीय पहलू को प्राथमिकता दी जाती है। लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से हर पहलू की जांच आवश्यक है।
क्या भारत सीमा हैदर को अपनाएगा?
सीमा हैदर का मामला अब केवल एक विदेशी नागरिक की याचिका नहीं, बल्कि भारत की नागरिकता नीति, अंतरराष्ट्रीय रिश्तों और मानवता के बीच संतुलन का विषय बन चुका है। अब देखना यह है कि सरकार इस मामले में क्या रुख अपनाती है।



