Thursday, November 13, 2025

Buy now

spot_imgspot_imgspot_imgspot_img

अंतरिक्ष में सोने से लेकर खाने तक, ISS से छात्रों के सवालों का जवाब देते नजर आए भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला

नई दिल्ली/सर्वोदय न्यूज़:- एक्सिओम मिशन-4 (Axiom Mission-4) के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर गए भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने विभिन्न स्कूलों के बच्चों से अपने इस अविस्मरणीय सफर के अनुभव साझा किए।  यह बातचीत इसरो के विद्यार्थी संवाद कार्यक्रम (ISRO Vidyarthi Samvad) का हिस्सा थी, जिसमें छात्रों ने अंतरिक्ष से जुड़े तमाम रोचक और जिज्ञासाजनक सवाल पूछे।

बच्चों ने शुभांशु से सवाल पूछे:

  • अंतरिक्ष यात्री क्या खाते हैं?
  • ISS पर कैसे सोते हैं?
  • बीमार पड़ने पर क्या होता है?
  • शरीर माइक्रोग्रैविटी में कैसे ढलता है?
  • पृथ्वी लौटने पर पुनः अनुकूलन में कितना समय लगता है?

इन सभी सवालों के जवाब शुभांशु ने बेहद सरल और दिलचस्प अंदाज़ में दिए।

ISS में नींद का अनुभव कैसा होता है?

शुक्ला ने मुस्कुराते हुए कहा, “अंतरिक्ष में सोना मजेदार अनुभव है। कोई दीवार पर सोता है, कोई छत पर। लेकिन सबसे जरूरी होता है खुद को स्लीपिंग बैग से बांधना, वरना आप नींद में तैरते-तैरते कहीं और पहुंच सकते हैं।”

अंतरिक्ष में भोजन भी प्रेरणा का स्रोत

शुभांशु ने बताया कि अंतरिक्ष में खाना एक खास अनुभव होता है। सभी भोजन प्री-पैक्ड और पोषणयुक्त होते हैं। उन्होंने साझा किया कि वह अपने साथ गाजर का हलवा, मूंग दाल का हलवा, और आम रस जैसी भारतीय मिठाइयां भी ले गए हैं। उन्होंने कहा, “अंतरिक्ष में अच्छा खाना आपको मानसिक रूप से प्रेरित और संतुलित रखता है।”

बीमार पड़ने पर क्या होता है?

जब एक छात्र ने पूछा कि यदि कोई अंतरिक्ष में बीमार पड़ जाए तो क्या किया जाता है, शुभांशु ने बताया कि ISS पर प्राथमिक चिकित्सा के लिए सभी जरूरी दवाएं मौजूद होती हैं, और वहां मौजूद हर क्रू सदस्य को मेडिकल ट्रेनिंग दी जाती है।

मानसिक स्वास्थ्य और तकनीक की भूमिका

शुक्ला ने बताया कि अंतरिक्ष में मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने में आधुनिक तकनीक बड़ी भूमिका निभाती है। “परिवार और दोस्तों से कनेक्टेड रहने के लिए वीडियो कॉल और टेक्स्ट सुविधाएं उपलब्ध हैं, जिससे भावनात्मक जुड़ाव बना रहता है।”

गुरुत्वाकर्षण से माइक्रोग्रैविटी और वापसी की चुनौती

उन्होंने कहा, “अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण की कमी सबसे बड़ी चुनौती है। शरीर को माइक्रोग्रैविटी के अनुरूप ढालना मुश्किल होता है, लेकिन कुछ दिनों में आदत हो जाती है। लेकिन जब धरती पर वापस लौटते हैं, तो फिर से शरीर को गुरुत्वाकर्षण के अनुसार ढालना एक नई चुनौती बनती है।”

अंतरिक्ष का सबसे मजेदार हिस्सा?

छात्रों द्वारा पूछा गया कि उन्हें सबसे ज्यादा मजा किस चीज़ में आता है, इस पर शुक्ला ने कहा: “ISS के बाहर झांककर पृथ्वी को देखना सबसे रोमांचक अनुभव होता है। यह दृश्य जीवन भर के लिए यादगार होता है।”

गगनयान मिशन और भारत का अंतरिक्ष भविष्य

बातचीत में शामिल विंग कमांडर अंगद प्रताप, जो भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन गगनयान (Gaganyaan) के लिए चयनित अंतरिक्ष यात्रियों में शामिल हैं, ने कहा कि आने वाले दशक में भारत के स्पेस प्रोग्राम में युवाओं की भूमिका बहुत अहम होगी।

उन्होंने छात्रों से कहा, “आपको लंबे समय तक प्रेरित रहना होगा क्योंकि भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान और मानव मिशन की अपार संभावनाएं हैं।”

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

1,388FansLike
133FollowersFollow
621SubscribersSubscribe
- Advertisement -[cricket_score]

Latest Articles