Friday, November 14, 2025

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आठ साल में नहीं लगाया कोई नया टैक्स, फिर भी योगी ने यूपी को बना दिया रेवेन्यू सरप्लस स्टेट

लखनऊ/सर्वोदय:-  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने आठ साल के कार्यकाल में आर्थिक क्षेत्र में जो करिश्मा कर दिखाया है, उसने पूरे देश को अचंभित कर दियाा है। 2017 में सत्ता संभालने के समय योगी को 12.88 लाख करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था विरासत में मिली थी, जिसे उन्होंने बिना कोई नया टैक्स लगाए 27.51 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा दिया। इस वित्तीय वर्ष में योगी सरकार 30 लाख करोड़ रुपये से अधिक की अर्थव्यवस्था बनाने के महत्वाकांक्षी मिशन पर तेजी से काम कर रही है। मुख्यमंत्री योगी ने कई मौकों पर इस बात का खुलासा भी किया है कि पिछली सरकारों में कैसे भ्रष्टाचार और लूट का बोलबाला था, जिसके चलते जनता की गाढ़ी कमाई कुछ लोग डकैतों की तरह लूट लेते थे। उस दौर में उत्तर प्रदेश सरकार के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने तक के लिए पैसे नहीं होते थे। योगी सरकार के सुशासन और पारदर्शी प्रशासन ने न केवल इस स्थिति को बदला, बल्कि यूपी को आर्थिक समृद्धि की नई ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया है।

बीमारू प्रदेश नहीं रहा यूपी, बना देश का ग्रोथ इंजन

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभालने के बाद अपने सतत प्रयासों से यूपी को बीमारू प्रदेश की पहचान से बाहर निकालने का सबसे अहम कार्य किया। आज उत्तर प्रदेश लगातार पांच साल से देश के ग्रोथ इंजन के रूप में पहचाना जा रहा है। यूपी बेशक आबादी के हिसाब से देश का सबसे बड़ा राज्य है, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से इसकी जीएसडीपी सन 1950 से लेकर 2017 तक केवल 12.75 लाख करोड़ ही पहुंच सकी। वहीं योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश ने सकल राज्य घरेलू उत्पाद में दोगुने से अधिक की छलांग लगाते हुए इसे 27.51 लाख करोड़ तक पहुंचा दिया है। सरकार का लक्ष्य वर्तमान वित्तीय वर्ष में इसे 30.77 लाख करोड़ तक पहुंचाने का है। जिस प्रदेश को कभी लोग उलटा प्रदेश कहकर चिढ़ाते थे, आज योगी आदित्यनाथ सरकार की मेहनत ने उसे देश की जीडीपी में 9.2 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ भारत में दूसरे नंबर की आर्थिक ताकत बनाकर सबको चौंका दिया है। अहम बात ये है कि 2023-24 में भारत की जीडीपी में विकास दर 9.6 थी, जबकि इसी काल में उत्तर प्रदेश की वृद्धि दर 11.6 प्रतिशत तक पहुंच गई।

कभी सैलरी देने के नहीं थे पैसे, आज है रेवेन्यू सरप्लस स्टेट

याद कीजिए 2017 से पहले का वक्त जब उत्तर प्रदेश सरकार अपने अधिकांश राज्य कर्मचारियों को समय से वेतन दे पाने में भी असमर्थ थी। तमाम योजनाएं और विकास की परियोजनाएं बजट के अभाव में सालों साल लटकी रहती थीं। आज ये वही उत्तर प्रदेश है, जिसने बीते आठ साल में बिना जनता पर कोई नया टैक्स लगाए अपनी अर्थव्यवस्था को इतना मजबूत कर लिया है कि बीते पांच साल से यह रेवेन्यू सरप्लस स्टेट बन चुका है। इसके लिए टैक्स की चोरी पर लगाम लगाने से लेकर रेवेन्यू लीकेज को समाप्त किया गया। सरकार ने व्यापक स्तर पर डिजिटल मैकेनिज्म को अपनाया, जिससे ट्रांसपैरेंसी बढ़ी। यही नहीं उत्तर प्रदेश में डीजल और पेट्रोल की दरें देश में सबसे कम हैं, बावजूद इसके यूपी समृद्धि के नये सोपान पर चढ़ता जा रहा है।

डीबीटी ने रोका बिचौलियों का खेल, डिजिटल लेन-देन में बना अग्रणी राज्य

प्रधानमंत्री मोदी के डिजिटल इंडिया के विजन को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी प्राथमिकता के शीर्ष पर रखा। आज यूपी डिजिटल क्रांति का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण बनकर उभरा है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में दिसंबर 2024 तक के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में एक हजार करोड़ से भी अधिक डिजिटल ट्रांजैक्शन हुए हैं। इनमें आधे से अधिक लेनदेन यूपीआई के जरिए हुए हैं। गांव-गांव तक इंटरनेट की आसान पहुंच, डिजिटल जागरूकता और इंटरनेट डिवाइस की पर्याप्त संख्या में उपलब्धता इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है। इसके अलावा योजनाओं के लाभार्थियों को सीधे उनके बैंक खाते में धनराशि भेजने से जहां बिचौलियों का खेल समाप्त हुआ है, वहीं विभिन्न योजनाओं में भ्रष्टाचार पर भी बड़ी चोट लगी है। राज्य में 11 विभागों की 207 योजनाओं की धनराशि डीबीटी के जरिए भेजी जा रही है, इसमें 113 योजनाएं केंद्र सरकार की हैं। 2024-25 में 9 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को 1 लाख करोड़ से अधिक रुपए का भुगतान किया गया है। डीबीटी ट्रांजैक्शन से सरकार ने 10 हजार करोड़ रुएप की बचत भी है।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया भी कर चुका है यूपी की सराहना

योगी सरकार के प्रयासों से मजबूत अर्थव्यवस्था के रूप में उभरे यूपी की सराहना आरबीआई द्वारा भी की जा चुकी है। 2024-25 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा राज्यों के बजट के संबंध में प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट में बताया गया है कि देश के सभी राज्यों की स्वयं के कर की प्राप्तियों में उत्तर प्रदेश का अंश वर्ष 2022-23, 2023-24 और 2024-25 में क्रमश: 9.9 प्रतिशत, 10.5 प्रतिशत और 11.6 प्रतिशत रहा है। इसे देश में दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन माना गया है। इस प्रकार इन वर्षों में सकल राज्य घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में देश के अन्य राज्यों के द्वारा स्वयं के कर से प्राप्ति का औसत जहां 6.5, 7.0 और 7.2 प्रतिशत रहा, वहीं यूपी में यह अनुपात क्रमश: 7.6, 9.8 और 10 प्रतिशत देखने को मिला।

निवेश को मिला अनुकूल माहौल, बढ़ने लगे उद्योग-धंधे

सत्ता में आने के बाद पहले तीन साल तक मुख्यमंत्री योगी ने दिन-रात मेहनत कर राज्य की आर्थिक बुनियाद को मजबूत किया। भ्रष्टाचार पर सख्ती, निवेश के लिए अनुकूल माहौल और उद्योगों को बढ़ावा देने वाली नीतियों के दम पर यूपी ने पिछले पांच सालों में अभूतपूर्व प्रगति की है। अपराधियों द्वारा उद्यमियों को भयभीत करके रंगदारी वसूली के लिए बदनाम रहे उत्तर प्रदेश से माफिया को मिट्टी में मिला दिया गया है और संगठित अपराध को करीब-करीब पूरी तरह से समाप्त किया जा चुका है। आज उत्तर प्रदेश न केवल निवेशकों की पहली पसंद बन चुका है, बल्कि देश की आर्थिक वृद्धि में भी अहम योगदान दे रहा है। यही नहीं जिन मंदिरों को लेकर कभी विरोधी तंज कसते थे कि क्या धर्म खाने को देगा, आज यूपी के यही मंदिर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में सबसे अहम योगदान दे रहे हैं। अयोध्या, काशी, मथुरा सहित सभी महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में दुनियाभर से पर्यटक उमड़ रहे हैं। महाकुम्भ की सफलता भी किसी से छिपी नहीं है। योगी के इसी यूपी मॉडल की आज संयुक्त राष्ट्र संघ तक चर्चा हो रही है।

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